पँढोह डैम जिला मंण्डी हिमाचल प्रदेश 👍बांका हिमाचलमेरे प्यारे हिमाचल की मानचित्र में स्थिति | हिमाचल प्रदेश अर्थात देवभूमि हिमाचल | हरी भरी ,पथरीली पहाड़ियों , और कल कल बहती नदियों का राज्य ,हिमाचल प्रदेश | Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps October 20, 2019 Read more
पंडोह ब्रिज हिमाचल 👍सुंदरनगर मंडी जिले में स्थित है। व्यास -सतलुज परियोजना के पानी ने इसे मानव निर्मित झील का रूप दिया है । निकटतम पहाड़ी पर महामाया और सुखदेव वटिका का मंदिर अन्य आकर्षण हैं। यह शहर महामया मंदिर के साथ अन्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। 1,174 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, सुंदरनगर पेड़ के बीच अपने छायादार चलने के लिए प्रसिद्ध है। सुखदेव वटिका यहां एक सुंदर बगीचा है। यहाँ एशिया की सबसे बड़ी हाइडल परियोजना – व्यास-सतलुज हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का भी घर है, और इसी से सुंदरनगर को अभूतपूर्व समृद्धि मिली है। हिमाचल प्रदेश में व्यास -सतलुज लिंक कॉलोनी सबसे बड़ी कॉलोनी है।बीबीएमबी झील: सुंदरनगर बीबीएमबी के लिए बहुत कुछ दे रहा है, यह बीएसएल परियोजना है जो सुंदरनगर को अपनी वर्तमान महिमा में लाया। यह परियोजना पंडोह में व्यास नदी के पानी को हटा देती है और इसे सुंदरनगर में नहर के माध्यम से लाती है जहां इसे डेहर पावर हाउस में बिजली उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल होने से पहले मानव निर्मित झील में रखा जाता है ।शुकदेव वटिका: यह एनएच 21 पर बीबीएमबी रिजर्व के पास स्थित है। पूर्व-महाभारत काल के दौरान ऋषि शुकदेव इस जगह पर ध्यान केंद्रित करते थे। यह गुफा हरिद्धार की ओर जाती है और ऐसा माना जाता है कि ऋषि शुक्देव ने हर गुफा पवित्र गंगा नदी में स्नान करने के लिए इस गुफा का इस्तेमाल किया था।हातेश्वरी मंदिर: यह मंदिर सुन्दरनगर बगी रोड पर सुंदरनगर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पांडवों का इतिहास भी इस प्रसिद्ध मंदिर में पाया जा सकता है। क्षेत्र के अध्यक्ष देवता देवी हातेश्वरी का एक बड़ा अनुसरण है।शीतला माता मंदिर : शीतला माता मंदिर भौन (कालहौद) सुंदरनगर श्री का एक प्राचीन मंदिर है। बीबीएमबी कंट्रोल गेट सुंदरनगर के दक्षिण में भौन पहाड़ियों में बीबीएमबी कंट्रोल गेट एनएच 21 (2.4 किमी से नई बस स्टैंड सुन्दरनगर) से 2.00 किमी एक पहाड़ी पर स्तित है । वाहन द्वारा बीबीएमबी कंट्रोल गेट से मंदिर तक पहुंचने में 10 मिनट लगते हैं और पैदल 30 मिनट लगते हैं। इस मंदिर की वास्तुकला सराहना करने लायक है।मुरारी माता: सुंदरनगर में यात्रा करने के लिए मुरारी देवी मंदिर एक सुंदर जगह है। यह मंदिर मुरारी धार नामक एक पवित्र पहाड़ी के शीर्ष पर सुंदर नगर के पश्चिम में स्थित है और यह 7000 फीट (2,133 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है।यह माना जाता है कि यह मंदिर पांडवों द्वारा अपने “अज्ञातवास” के दौरान बनाया गया था।प्राचीन काल में पृथ्वी पर मूर नामक एक पराक्रमी दैत्य हुआ। उस दैत्य ने ब्रह्मा की घोर तपस्या की और उनसे वरदान मांगा कि मैं अमर हो जाऊं। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि मैं विधि के विधानों से बन्धा हूं, इसलिये तुम्हे अमर होने का वरदान नहीं दे सकता, परन्तु मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि तुम्हारा वध किसी भी देवता, मानव या जानवर के द्वारा नहीं होगा बल्कि एक कन्या के हाथों से होगा। घमण्डी मूर दैत्य ने सोचा कि मैं तो इतना शक्तिशाली हूं, एक साधारण कन्या मेरा वध कहाँ कर पायेगी? मैं तो अमर ही हो गया हूं। ये सोचकर उस दैत्य ने धरती पर अत्याचार करने शुरू कर दिये। उसने स्वर्ग पर आक्रमण करके देवताओं को वहाँ से निष्कासित कर दिया और स्वयं स्वर्ग का राजा बन बैठा। समस्त सृष्टि उसके अत्याचारों से त्रहि-त्राहि कर उठी। वो बहुत उपद्रव मचाता था।सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए, तो भगवान ने कहा चिंता मत करो, मैं अवश्य आपके कष्टों का निवारण करूँगा । भगवान विष्णु और मूर दैत्य का आपस में युद्ध आरम्भ हो गया जो दीर्घकाल तक चलता रहा। युद्ध को समाप्त न होता देख कर भगवान नारायण को स्मरण था की मूर का वध केवल कन्या के हाथों ही हो सकता है, ऐसा विचार करके वो हिमालय में स्थित सिकन्दरा धार (सिकन्दरा री धार) नामक पहाड़ी पर एक गुफा में जाकर लेट गए।मूर उनको ढूंढता हुआ वहां पहुंचा तो उस ने देखा की भगवान निद्रा में हैं और हथियार से भगवान पे वार करूं, ऐसा सोचा तो भगवान के शरीर से 5 ज्ञानेद्रियाँ, 5 कर्मेंद्रियाँ, 5 शरीर कोष और मन ऐसे 16 इन्द्रियों से एक कन्या उत्पन्न हुयी। उस कन्या का मूर दैत्य के साथ घोर युद्ध हुआ। तब उस देवी ने अपने शस्त्रों के प्रहार से मूर दैत्य को मार डाला। मूर दैत्य का वध करने के कारण ये कन्या माता मुरारी के नाम से जानी गयीं और उसी पहाड़ी पर दो पिण्डियों के रूप में स्थापित हो गयीं जिनमें से एक पिण्डी को शान्तकन्या और दूसरी को कालरात्री का स्वरूप माना गया है। माँ मुरारी के कारण ये पहाड़ी मुरारी धार के नाम से प्रसिद्ध हुई। द्वापर युग मे जब पांडव अपना अज्ञातवास काट रहे थे, तब वो लोग इस स्थान पर आये। देवी ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि पहाड़ की चोटी पर जाकर खुदाई करो, उस स्थान पर तुम्हें मेरी पिण्डियां मिलेंगी। उस स्थान पर एक मन्दिर बना कर उन पिण्डियों की स्थापना करो। माता के आदेशनुसार पांडवों ने वहाँ एक भव्य मन्दिर का निर्माण किया। आज भी मन्दिर से थोड़े नीचे जाकर देखें तो वहाँ पर पांडवों के पदचिन्ह कुछ पत्थरों पर देखे जा सकते हैं।प्रायः यहाँ जनवरी माह में हिमपात होता है| Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps October 19, 2019 Read more
प्यारा हिमाचल 👍मेरे प्यारे हिमाचल की मानचित्र में स्थिति | हिमाचल प्रदेश अर्थात देवभूमि हिमाचल | हरी भरी ,पथरीली पहाड़ियों , और कल कल बहती नदियों का राज्य ,हिमाचल प्रदेश | में पहाड़ों ला सुंदर नजारा हँसती लहराती हवोएँ कल कल करते झरने सुन्दर पहाड़ियाँ Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps October 10, 2019 Read more
kandror Pul Bridge Bilaspur, Himachal👍इस पुल के निर्माण का कार्य अप्रैल, 1959 में प्रारम्भ हुआ था और यह पुल 1965 में बनकर तैयार हुआ और इस पुल के निर्माण पर 28,12,998 रुपये खर्चा हुआ। इस पुल की लम्बाई 280 मीटर, चौड़ाई 7 मीटर और ऊंचाई 80 मीटर है Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps October 09, 2019 Read more